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  • Gupta, Nidhi Kumari
    आदिवासी साहित्य लेखन दो-तीन दशकों से नहीं, बल्कि लगभग सौ-डेढ़ सौ वर्ष पहले से लिखा जा रहा है। आदिवासी चिंतन का मुख्य पहलू प्रकृति की रक्षा और जीव-जगत के अस्तित्व से संबंधित है। अपनी तीव्र इच्छापूर्ति के कारण मनुष्य ने प्रकृति ...
  • Singh, Priyanka Kumari
    ‘भाषा और हिन्दी आलोचना : अंतर्संबंध’ शीर्षक शोध-प्रबंध में हिन्दी आलोचना में भाषा-संबंधी चिंतन के सूत्रों की खोज की गई है तथा हिन्दी आलोचना की अपनी भाषिक संरचना का भी अध्ययन किया गया है। हिन्दी आलोचना की विधिवत शुरुआत ...
  • Ojha, Madhumita
    शोध-सार नब्बे के दशक के बाद हाशिए के विमर्शों की चर्चा जोर-शोर से होने लगी। इसमें दलित-विमर्श, आदिवासी-विमर्श, पर्यावरण विमर्श के साथ ही एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) या क्वीयर विमर्श/सिद्धांत भी हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता ...
  • Chaturvedi, Neha
    कश्मीर केन्द्रित हिंदी उपन्यासों का आलोचनात्मक अध्ययन (1980-2014)’ शोधकार्य में सन् 1980 से सन् 2014 के बीच प्रकाशित चन्द्रकान्ता के उपन्यास ‘ऐलान गली जिंदा है’, ‘यहाँ वितस्ता बहती है’, ‘कथा सतीसर’, क्षमा कौल के उपन्यास ...
  • Mishra, Pooja
    प्रस्तुत शोध प्रबंध ‘कृष्णा सोबती तथा इंदिरा गोस्वामी के उपन्यासों में स्त्री विमर्श’ में हिन्दी-असमिया लेखिकाओं (कृष्णा सोबती तथा इंदिरा गोस्वामी) के उपन्यासों में मुखरित स्त्री विमर्श को अध्ययन के केंद्र में रखा गया है। ...
  • Debnath, Kirit
    शोध-प्रबंध का सार जीवनीपरक उपन्यास साहित्य की एक विधा है। यह शोध हिंदी के उपन्यासकार नरेंद्र कोहली के द्वारा स्वामी विवेकानंद के जीवन पर छः खंडों में लिखित तोड़ो कारा तोड़ो नामक जीवनीपरक उपन्यास पर किया गया है। शोध का ...
  • Roy, Kartik Kumar
    हिंदीकविताकीपरंपरामें‘स्त्री-कविता’पदबंधस्त्रीरचनाशीलताकेसांस्कृतिकउन्मेषकाप्रतीकहै।नौवेंदशककीआमूलवैश्विकपरिघटनाओंनेसाहित्य,समाजतथाजनमानसकीचित्तवृत्तिकोअप्रत्याशितरूपसेप्रभावितकिया।अनामिका,कात्यायनी,गगनगिल,सवितासिंह,शुभा ...

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