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Kashmir Kendrit Hindi Upnyason Ka Aalochnatmak Adhyayan (1980 2014)

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dc.contributor.advisor Majumdar, Tanuja
dc.date.accessioned 2024-07-29T07:36:01Z
dc.date.available 2024-07-29T07:36:01Z
dc.identifier.uri https://www.presiuniv.ac.in en_US
dc.identifier.uri http://www.presiuniv.ndl.iitkgp.ac.in/handle/123456789/2430
dc.description.abstract कश्मीर केन्द्रित हिंदी उपन्यासों का आलोचनात्मक अध्ययन (1980-2014)’ शोधकार्य में सन् 1980 से सन् 2014 के बीच प्रकाशित चन्द्रकान्ता के उपन्यास ‘ऐलान गली जिंदा है’, ‘यहाँ वितस्ता बहती है’, ‘कथा सतीसर’, क्षमा कौल के उपन्यास ‘दर्दपुर’, संजना कौल के उपन्यास ‘पाषाण युग’, पद्मा सचदेव के उपन्यास ‘नौशीन’, मीरा कांत के उपन्यास ‘एक कोई था कहीं नहीं-सा’, मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास ‘शिगाफ़’, मधु कांकरिया के उपन्यास ‘सूखते चिनार’, जयश्री राय के उपन्यास ‘इक़बाल’ और मनमोहन सहगल के उपन्यास ‘नरमेध’ के माध्यम से कश्मीरी जीवन और समस्याओं को समझने का प्रयास किया गया है। कश्मीर केन्द्रित हिंदी उपन्यास कश्मीर के इतिहास, राजनीति, साझी सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत, हिंसा, आतंक, कश्मीरियों के आपसी संबंध, उसमें होनेवाला बदलाव, अस्मिता संबंधी प्रश्नों, कश्मीरी स्त्रियों की स्थिति और विस्थापन की त्रासदी को अपनी कथावस्तु में समेटे हुए हैं। उपन्यास केवल हिंसा-आतंक या राजनैतिक निर्णयों से उत्पन्न समस्यायों को ही नहीं दिखाते बल्कि आम कश्मीरी जीवन की जद्दोजहद, उसकी विसंगतियों और रूढ़ियों को भी सामने लाते हैं। उपन्यासों में एक ओर जहाँ भविष्य के प्रति चिंता हैं तो सब बेहतर होने की उम्मीद भी है। यह उपन्यास कश्मीर-समस्या और कारणों का विश्लेष्ण करने के साथ संभावित समाधान भी बताते हैं। उपन्यासों में कश्मीरी-समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज, परंपरा, लोक गीत, लोक कथाओं और लोक-जीवन की प्रस्तुति द्वारा स्थानीयता को बनाए रखने का प्रयास भी किया गया है। उपन्यासों में व्यक्ति मन और जीवन की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नवीन शिल्पगत प्रयोग भी देखने मिलते हैं, जैसे ‘फेसबुक चैट’, ‘ब्लॉग’, मैसेज’ आदि। दरअसल इन उपन्यासों में कश्मीरी जीवन को सम्पूर्णता में प्रस्तुत किया गया है जिसके तहत यह उपन्यास उन कश्मीरी जनों की आवाज़ बनते हैं जो हिंसा नहीं अमन चाहता है, युद्ध नहीं रोजगार चाहता है। वह एक ऐसा वर्तमान और भविष्य चाहता है जहाँ उसे और उसकी आगामी पीढ़ी को मौत का भय न हो, अपनी मातृभूमि से विस्थापित होने का दंश न सहना पड़े। आम जीवन की जटिलता, अंतर्द्वंद और पीड़ा को अभिव्यक्त करते इन उपन्यासों में कश्मीर की राजनीति के बरक्स जनसामान्य के जीवन को सामने लाने का प्रयास किया गया है। en_US
dc.format.mimetype application/pdf en_US
dc.language.iso hin en_US
dc.source Presidency University en_US
dc.source.uri https://www.presiuniv.ac.in en_US
dc.subject हिंसा en_US
dc.subject अस्मिता en_US
dc.subject स्त्री en_US
dc.subject आतंकवाद en_US
dc.subject इतिहास en_US
dc.subject राजनीति en_US
dc.subject साझी संस्कृति en_US
dc.subject विस्थापन en_US
dc.subject क़बायली हमला en_US
dc.title Kashmir Kendrit Hindi Upnyason Ka Aalochnatmak Adhyayan (1980 2014) en_US
dc.type text en_US
dc.rights.accessRights authorized en_US
dc.description.searchVisibility true en_US
dc.creator.researcher Chaturvedi, Neha


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